
सादर आपका
सादर आपका हास्य वंश से निबंध मंच सिद्ध लोकप्रिय मूल हिंदी नाटक है शुरुआत से अंत तक दर्शकों को बांधे रखने की क्षमता नाटक की विशेषता है नाटक का एक प्रमुख युवा पत्र एक छोटे से नगर से निकलकर दिल्ली पहुंचता है जहां उसकी अस्थाई प्रवास है एक मध्यम वर्गीय परिवार जहां महात्मा गांधी और स्वार्थ इनका सर्वोपरि है कि आपसी सामाजिक रिश्ते भी छेद हो गए हैं जिसके परिणाम स्वरूप ऐसे संबंध भी कायम होते दिखते हैं जो भ्रष्ट समाज के देवता हैं जहां स्वच्छंद जीवन जीने की लालसा दूसरी तरफ इससे उपजाते फ्रस्ट्रेशन के बीच है इस परिवार में महत्वाकांक्षी व्यावहारिक एवं दबंग मां तथा गहरीहीन भावना से ग्रस्त पिता के बीच शिव युद्ध की शिकार अपने भैया वह अकेलेपन और असुरक्षा से जूझ रही बेटी दांपत्य संबंध आमतौर पर यूं भी काफी जटिल होते हैं फिर इस विशिष्ट परिवार में जहां पत्नी हर कीमत पर आगे बढ़िया पति पीछे-पीछे खिसकता पति का परिचय हम और हीन भावना तथा कुंठा की घर के लिए अपना सर्वस्व लुटा देने पर भी उसे पति से अपेक्षा मिली है ने बड़ी अजीब सी कटता पैदा करती है जिसमें संदेह एवं विश्वास के बीच कोमल भावनाएं कांटेक्ट होने पर भी मेरी नहीं है इन्हीं स्थितियों के इर्द-गिर्द गोंडा गया चित्रण सादर आपका






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