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साँझ - सवेरा 

साँझ-सवेरा नाटक जीवन मूल्यों के संघर्ष की कथा है। शाश्वत मूल्य बनाम स्वार्थ जनित मूल्य। यह कथा है - आदर्शवादी पिता शीतला प्रसाद तथा उनके तथाकथित आधुनिकतावादी कलाकार पुत्र निखिल के संघर्ष की। 

नाटकीय मुहावरें मे प्रस्तुत पीढ़ियों और मूल्यों के संघर्ष की यह गाथा 1958 से अब तक अनेक संस्थाओं द्वारा विभिन्न नगरों में मंचस्थ हो चुका है/हो रहा है।

FACTS:

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