top of page

इतिहास चक्र
इतिहास चक्र कथावस्तु एवं प्रस्तुति दोनों ही दृष्टियों से प्रयोगात्मक है नाटक के सांकेतिक पत्र राजा सत्ताधारी कुबेर पूंजीपति पत्रकार बुद्धिजीवी बाबू नौकरशाह मोहिनी महत्वाकांक्षी नई पत्नी सामान्य नई एवं अनामिका सामान्य जनता जब कोई भी युद्ध होता है तो राजा को अपनी सट्टा सुद्धरण करने का अवसर मिलता है कुबेर का व्यापार साम्राज्य बढ़ने लगता है नौकरशाह की रिश्वतों की दरें बढ़ जाती हैं जहां यह प्रभावी वर्ग युद्ध के कारण समृद्धि और संप्रदाय के नेक्स्ट स्टेज स्पष्ट करते हैं वहीं सामान्य जन अनामी बढ़ती कीमतों की मार की चपेट से दरूद कष्ट और शोषण के शिकार होते हैं नाटक का मूल स्वर युद्ध एवं तानाशाही विरोध तथा आम आदमी की पक्षधर्ता का है






1/1
FACTS:
bottom of page